Monday, January 31, 2011

परीक्षायें@BIT

Submitted by: आयुष श्रीवास्तव (BE/1359/2010) 


हम सभी लोगों मे एक बात Common है: वो है Examophobia, यानी Exams का डर. Exams से एक हफ्ते पहले बजरंगी जाकर Books खरीदना, और एक दिन पहले Mishra Xerox जाकर Notes लेना तो हमारा धर्म बन गया है. और ऐसा हो भी क्यों ना? BIT मे Paper ही ऐसा Set होता है जैसे Einstein और Newton सब, हमारे ही क्लास मे पढ़ते हो..!!

यह परीक्षायें...... क्यूँ इतनी ये प्रचंड होती हैं?? :-(
ऐसा लगता है मानो हमारी भूलों का यह दंड होती हैं
Teacher जी को हमने क्या खूब है सताया जी,
हमारे जुमलों ने उनको भयंकर है छकाया जी..
शिक्षक ने भी आज खूब ज़ोर से है गाया जी,
हंस ले गधे हंस ले, आज मेरा दिन है आया जी..!!

एक शाम जब मे खेल के Hostel वापस आया,तो याद आया कि कल से Exams शुरू हैं...और वो भी पहला Exams Mathematics का! वैसे ही सारी उम्र मर मर के जिए हैं, तब जा कर BIT तक पहुँचे हैं..अब एक साल तो हमे जीने दो..!!

But Paper तो होना ही था..तो हुआ ही..
अब Exam Hall मे:
Question Paper मे Alpha, Beta, Gamma हर जगह छाया था...
पर Paper देखते ही मुझे तो कैटरीना का नया गाना याद आया था...;-)
टीपने को जैसे ही सर पीछे घुमाया था,
Invigilator जी को सर पे ही खड़ा पाया था..!!

"बेटा,20 साल से तुझ जैसों को देख रहा हू मैं
 एक-एक को इस Campus से बाहर फेंक रहा हूँ मैं,
 चल, अब या तो तू चुप-चाप अपना काम कर ले,
 वरना बाहर जाके सुकून से आराम कर ले|"

अचानक मेरे मन मे Famous बनने का ख़याल आया |
Number-Wumber की फ़िक्र छोड़ो,यह सब तो है बस मोहा-माया||

अब सीधे तरीके से Famous बनना तो ज़रा मुश्किल है| कुछ तो उल्टा सीधा करना ही पड़ता है Famous होने के लिए. मेरे मन मे famous होने का पहला तरीका जो आया:

सोचा बन जाता हूँ कसाब या अफ़ज़ल जैसा आतंकी,
बम से मार डालूँगा सबको, फिर कर लूँगा थोड़ी रोने की नौटंकी |
किसी की इतनी औकात नही, जब सरहद पार हमारा दाता है,
कंधार जैसा अफ़रन करके छूटना हमे बखूबी आता है||

Terrorist बनना थोड़ा Risky है. तो सोचा की Better होगा अगर Democracy मे रह कर ही "Legal Terrorist" बन जायें. Legal terrorist…!!! हाँ भाई, आप सही समझे, हम नेता की ही बात कर रहे हैं.:

विचार किया तो एक और काम दिल को भाया है,
इससे सरल और कमाओ काम कोई Businessman भी नही खोज पाया है!
भ्रष्ट नेता बनकर Public का मेवा खाना है,
जी-हुजूरी, चाटुकारी करके पैसा-शोहरत सब हथियाना है ||

जैसे लालू खाते चारा, करते भारत का वारा न्यारा,
नटवर सिंग ने तेल पी-पीकर डकार भी ना मारा,
मधु कोड़ा ने तो झारखंड के साथ कैसा कैसा खेल किया,
हमारी बहन कुमारी मायावती ने सारा धन मूर्ति पर ही उडेल दिया|

Fame के इसी उधेड़बुन मे जब मैं खोया था
किसी ने मुझे एहसास कराया की मैं सोया था
शिक्षक महोदय मेरे पास आए, बैठे और बड़े प्रेम से बोले
"बेटा,तुमने पूरे समय तो अपने अमूल्य नयन नहीं खोले
कम से कम नाम लिखकर रस्म-अदाययगी तो कर दे..
पूरा Paper blank छोड़ा, इतना तो हम पर एहसान कर दे..!!"

मेरी एक बात तुम बड़े ध्यान से सुन लो,
तुम Famous बहुत होगे, इसका एक भरोसा कर लो |
कथा-अख़बार, कहानियाँ हर जगह तुम्हारा ही नाम होगा,
तुम्हारी उलूल-फ़िजूल हरकतों से हर तरफ कोहराम होगा|
ए असामान्य बालक, तेरे तो चेहरे पर ही मूर्खता की अमिट छाप है.
तेरी प्रसिद्धि का यही तो राज है....मानो या ना मानो...
तू तो शखचिल्ली का भी बाप है.... .!!


Thursday, January 20, 2011

Welcome!

The Literary Society of Birla Institute of Technology, Mesra welcomes you. 
It is a Young Writers' Club which invites entries from all its members in the regular Symposium events hosted at the institute. The most interesting works every week get selected and published on the blog http://literarysocietybitmesra.blogspot.com/ . We shall keep you posted with the most interesting entries regularly and we welcome your feedback on them to encourage our young writers at BIT Mesra.